Dr. APJ Abdul Kalaam-Bachchon Se Prem | भारत संस्कारों की जननी
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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

बच्चों से प्रेम

यह अनुमान है कि भारत के राष्ट्रपति बनने के बाद कलाम ने चार मिलियन से अधिक स्कूल और कॉलेज के बच्चों से बात की थी राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद, शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े रहे और अपने वैज्ञानिक कार्यों के साथ युवा दिमाग तक पहुंच बनाए रखी, आये जाने उनके जीवन के ऐसे कुछ पल

जब डॉ. कलाम एक छोटे स्कूल में व्याख्यान देने वाले थे, तभी बिजली चली गई। घबराने या उसके वापस आने का इंतज़ार करने के बजाय, वह छात्रों के बीच की ओर इशारा करते हुए भीड़ के ठीक बीच में चले गए। उन्होंने अपनी प्रेरक भाषा में बिना माइक के ही छात्रों को व्याख्यान दिया! वे हमेशा बच्चो से कहते चार बातें खुद से करो

1.            मैं सबसे अच्छा हूँ

2.            मैं यह काम कर सकता हूँ

3.            चैंपियन था और हूँ

4.            आज का दिन मेरा है 

एक बार, डॉ कलाम को एक कॉलेज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनना था। वे उस समय राष्ट्रपति नहीं थे, लेकिन डी आर डी ओ में एक महत्वपूर्ण कार्यालय में थे और सरकार के प्रमुख सलाहकारों में से एक थे। वे देखना  चाहते थे की कैसे बच्चे इतने बड़े कार्यक्रम की तैयारी में जुटे है उत्सुक, कलाम ने देर रात कार्यक्रम स्थल का दौरा करने का फैसला किया। वह बिना किसी सुरक्षा के, एक जीप में आये और कार्यक्रम स्थल पर मौजूद छात्रों से बात की। सब कार्यक्रम के मुख्य अतिथि को इस तरह अपने बीच देखकर आश्चर्य चकित रह गए पर उन्होंने कहा कि वह "असली मेहनती लोगों" से मिलना चाहते थे। वे देखना चाहते थे कि इतनी बड़ी तैयारी आखिर कौनसे बच्चे मिलकर कर रहे है और इस तरह सभी का उत्साह वर्धन किया

 

जब डॉ कलाम डीआरडीओ में काम कर रहे थे, तब एक बार उनके नीचे काम कर रहे एक वैज्ञानिक ने उनसे से संपर्क किया और आज ५ बजे जल्दी छोड़ने के लिए कहा ताकि वह अपने बच्चों को 5:30 बजे प्रदर्शनी ले जाने का वादा पूरा कर सके लेकिन काम के दबाव के कारण, वह भूल गए और बच्चें को प्रदर्शनी में नहीं ले जा सका। वह दोषी महसूस करते हुए घर पहुंचा, और अपने बच्चों की तलाश की, तो अपनी पत्नी ने कहा, "आपका प्रबंधक लगभग 5:15 बजे आया था और वह बच्चों को प्रदर्शनी के लिए ले गया!" उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जाहिर हैडॉ कलाम इतना व्यस्त होते हुए भी  उन वैज्ञानिक का अवलोकन कर रहे थे और जब उन्होंने देखा कि उन्हें याद नहीं कि उन्हें घर जाना है। तो बच्चे निराश न हो इसलिए बच्चों को अपने साथ ले जाने का फैसला किया।

चमत्कारिक प्रतिभा के धनी डॉ कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत है कि इन्होंने सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्तियों का दिल जीत लिया है। यह एक ऐसे भारतीय हैं जो सभी के लिए ‘एक महान आदर्श’ हैं। उनका जीवन कठिनाईओं से भरा था, लेकिन कभी भी उन्होंने हार नहीं मानी। किसी भी व्यक्ति ने डॉ कलाम को गुस्से में नहीं देखा और आज डॉ कलाम विश्व में विनम्रता के सबसे बड़े उदाहरण है। हम सभी को कलाम के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके द्वारा दिखाये गये रास्तो पर आगे बढने का प्रयास करना चाहिए।

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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (बच्चों से प्रेम)
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