एक बार की बात है पास की बिल्डिंग में काम चल रहा था। वहां बहुत से मजदूर काम किया करते थे।
शाम को देखती, उनके बच्चे एक दूसरे की शर्ट को पहने ट्रेन ट्रेन खेलते। किसी दिन कोई इंजन बनता तो कोई बोगी बनता। इस खेल में मानो उन्हें बहुत आनंद आता। पर मेरी नजर हमेशा एक बच्चे पर पड़ती जो हाफ पैंट पहने हाथ में हरा कपड़ा लिए हमेशा ही गार्ड बनता।
एक बार उसके पास जाकर पूछा "बेटा तुम ही कभी इंजन या बोगी बनने का मन नहीं करता।"
बच्चा बड़ा मासूमियत से बोला "दीदी मेरे पास शर्ट नहीं है फिर दूसरे बच्चे कैसे मुझे पकड़ेंगे इंजिन या बोगी बनने के लिए।"
मैं उसकी आंखों में नमी देख सकती थी पर उसने मुझे आज बहुत बड़ी शिक्षा दे दी थी। वो रो सकता था। घर पर बैठ सकता था। अपने माता पिता को कोस सकता था कि वह उसे एक शर्ट नहीं दिला पा रहे पर उसने अपना एक अलग रास्ता खोजा खुश रहने का, सब के साथ खेलने का।
मित्रों, हम भी जो कुछ जीवन में चाहते हैं वह नहीं पा पाते। इसके लिए हमें हमेशा ही शिकायत बनी रहती है। कभी अपनों से, कभी गैरों से, कभी-कभी तो भगवान से। आज छोटे से बच्चे ने समझा दिया यही जीवन है। तुम्हें ही सीखना होगा कि जो कुछ भी हमारे पास है उसमें किस तरह से प्रसन्नचित रहा जाए।