Kitne Ache Amma Babu | भारत संस्कारों की जननी
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कितने अच्छे अम्मा बाबू


बाबूजी अम्मा से कहकर,

भटा भर्त बनवाते थे।

बड़े मज़े से हँसकर हम सब,

रोटी के संग खाते थे।


धनिया, हरी प्याज, लहसुन की,

तीखी चटनी बनती थी।

छप्पन भोजन से भी ज़्यादा,

स्वाद हम सभी पाते थे।


घर में लगे ढेर तरुवर थे, 

बिही आम के जामुन के।

तोड़-तोड़ फल सभी पड़ोसी,

मित्रों को बँटवाते थे।

काका के संग खेत गये तो,

हरे चने तोड़ा करते।

आग जलाकर इन्हीं चनों से,

होला हम बनवाते थे।


लुका लुकौअल खेल खेलते,

इधर-उधर छिपते फिरते।

हँसते गाते धूम मचाते,

इतराते मस्ताते थे।


कभी नहीं बीमार पड़े हम,

स्वस्थ रहे सब बचपन में।

कई मील बाबू के संग हम,

रोज़ घूमने जाते थे।


कितने अच्छे अम्मा बाबू,

सच का पाठ पढ़ाया है। 

कभी किसी का अहित न करना, 

यही सदा समझाते थे।

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