Garam Jalebi | भारत संस्कारों की जननी
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गरम जलेबी


पापा गरमा गरम जलेबी,

लेकर आये हैं ।


मुनियाँ ने पहचानी उनके,

पैरों की आहट।

मम्मी के मुखड़े पर आ

मीठी मुस्काहट ।

दादा तो दरवाजे से ही,

आ पछियाए हैं ।

गंध मिली तो दादी जी का,

पत्ता मन डोला ।

ताक रहीं थीं गरम जलेबी,

वाला वह झोला ।

मुन्ना के हाथों संदेशे ,

दो भिजवाये हैं ।


गरम जलेबी मम्मी ने जब,

सबको खिलवाई ।

ऊपर चढ़ी सांस थी सबकी ,

तब नीचे आई ।

चेहरों पर खुशियों के परचम ,

अब लहराए हैं ।

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गरम जलेबी
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