चिड़िया कहती शाला जाऊँ,
मुझको भी अब पढ़ना।
नहीं सुहाता अब तो मुझको,
आसमान में उड़ना।
हवा बहुत ज़हरीली है मैं,
ऊपर उड़ न पाऊँ।
दम फूला जाता है मेरा,
साँस नहीं ले पाऊँ।
दरवाज़ों खिड़की आलों में,
लगी सब जगह जाली।
छतों मुँडेरों पर लिक्खा है,
रूम नहीं है खाली।
ऐसे में हम कहाँ रहेंगे,
कौन आजकल पूछे।
पत्ते डालें सूख गए हैं।
पेड़ खड़े हैं छूंछे।
शाला जाकर करूँ पढाई,
मैं अफ़सर बन जाऊँ।
एक बड़े से बंगले में मैं,
भी रहने लग जाऊँ।
ए.सी. वाली बड़ी कार में,
मैं भी सफ़र करूँगी।
आसमान में उड़ने की अब,
ग़लती नहीं करुँगी।