Chingari | भारत संस्कारों की जननी
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चिंगारी


सिर पर टोपी आँखों चश्मा,

हाथों में मोबाइल।

चींटी रानी चली ठुमककर,

पैरों में थी पायल।


तभी अचानक बीच सड़क पर,

बस उनसे टकराई।

डर के मारे वहीं बीच में ,

तीन पल्टियाँ खाईं।


थर थर थर थी लगी काँपने,

बस अब डर के मारे।

उतर उतर कर बाहर आये,

तभी मुसाफ़िर सारे।

हाथ जोड़कर सबने माफ़ी,

मिस चींटी से माँगी।

तब जाकर मिस चींटीजी ने,

क्रोध मुद्रा त्यागी।


बस से बोली आगे से वह,

बीच राह न आये।

अगर दिखूँ मैं कहीं सामने,

राह छोड़ हट जाये।


नहीं आँकना छोटों को भी,

कमतर मेरे भाई।

एक ज़रा सी चिंगारी ने,

अक्सर आग लगाई।

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