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गायत्री मंत्र

Gayatri Mantra

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् , भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ||

Om bhurbhuva: sv: tatsaviturvarenyam, bhargo devasya dhimahi dhiyo yo na: prachodayat ||

गायत्री मंत्र का अर्थ


उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। अर्थात् 'सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के प्रसिद्ध पवणीय तेज का (हम) ध्यान करते हैं, वे परमात्मा हमारी बुद्धि को (सत् की ओर) प्रेरित करें।

गायत्री मंत्र का वर्णन


यह ऋग्वेद का एक संस्कृत मंत्र है। इसे गायत्री मंत्र के रूप में जाना जाता है और इसे हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। मन्त्र सूर्य भगवान, सावित्री से प्रार्थना है, जो बुद्धि को रोशन करे और साधक को जीवन के अंतिम लक्ष्य की ओर ले जाए। इसे अक्सर ध्यान के दौरान सुनाया जाता है और आध्यात्मिक जागृति के साधन के रूप में देखा जाता है।
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